पर यदि किसी व्यक्ति को उसके घर से बाहर खींच कर या घात लगाकर या रास्ते में पकड़कर उसे गोलियों से छलनी कर दिया जाए तो इस बात को माओवादी किस तरह ठीक ठहराते हैं? क्या यह सोचे-समझे तरीके से हत्या से किसी तरह से कोई अलग चीज है? क्या निर्दोष नागरिकों की हत्या को वे “ दुर्घटना '' या ‘‘ आनुषंगिक नुकसान ” कहकर खारिज कर सकते हैं?